उसने अच्छे कपड़े पहने हैं तो वो अच्छा है और गंदे कपड़े पहने हैं तो वो बुरा है, क्या आप भी ऐसा सोचते हैं? ऐसा कौन से पुराण या गीता में लिखा है कि किसी का पहनावा उसका व्यवहार और हैसियत बयान करता है? अकसर लोग पहनावे को मद्देनजर रखते हुए ही राह चलते लोगों से बात करना या उनकी बात सुनना पसंद करते हैं लेकिन जब बात किसी की जान की हो तब भी क्या आप ऐसा ही करेंगे?
कुछ ऐसा ही इन लोगों ने किया जो आप इस वीडियो के जरिए देख सकते हैं:
इस वीडियो में दिख रहा है कि एक आदमी भद्दे कपड़ों में आता है और सड़क पर बेहोश हो जाता है. दर्जनों लोग उसके पास से निकले पर किसी ने उसकी मदद ना की और वहीं वीडियो के अंत में एक आदमी सूट-बूट में आता है और वही दृश्य दोहराता है. उसे जमीन पर गिरता देखकर सभी उसकी मदद करते हैं. यह सब देखकर मन में एक ही सवाल आता है कि ऐसा भेदभाव आखिर क्यों? क्या पहले वाला आदमी इंसान नहीं है या उसे जीने का हक नहीं है? यदि उसकी जगह आप खुद होते तो कैसा महसूस करते?
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