कहने को तो हम धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश में रहते हैं, लेकिन वास्तविकता इससे कोसों दूर है. आज हिंदुस्तान का हरेक नागरिक उस विस्फोटक बारूद पर खड़ा है जो कब धमाका कर जाए शायद ही किसी को अंदाजा हो. धर्म और जाति की कट्टरता ने इंसान को इस कदर बांट कर रख दिया है कि उसे सही-गलत, ऊंच-नीच और सच-झूठ का ख्याल नहीं रह गया है. नीचे दिए गए वीडियो में आप देखेंगे कि किस तरह से ऐसे मामलों में इंसान की आंखों पर पट्टी अपने आप बंध जाती है.
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