(पार्ट-2)
‘मारबो रे सुगवा धनुष से, सुगा गिरे मूरछाय…’….बिहार का यह प्रसिद्ध छठ लोकगीत अपने बोलों में ही इस पावन महापर्व की गाथा समेटे है. इस एक वाक्य में ‘सुगवा’ मतलब ‘तोते’ को ‘बहंगी’ मतलब छठ पूजा अर्घ के लिए जाने वाले ‘डाले’ से दूर रहने की हिदायत देते हुए पूजा की शुद्धता भंग नहीं करने के लिए चेतावनी दी जा रही हैं. ‘ छठ डाला’ से दूर रहने पर मारने का डर दिखाया जाता है जिससे वह ‘मूरछकार’ मतलब ‘मूर्छित होकर’ गिर जाएगा और जान भी गंवा सकता है. छठ के गीतों के ये बोल इसकी पवित्रता के लिए लोगों की सावधानियां और उनकी सजगता को जाहिर करता है. इसके लिए प्रतीकात्मक तौर पर ‘सुगवा’ अर्थात ‘तोते’ का उदाहरण लिया गया है…
छठ के गीत छठ व्रतियों समेत इस पर्व के दौरान आम लोगों द्वारा सुनना भी पवित्र माना जाता है. पिछले भाग में हमने शारदा सिन्हा के दो प्रसिद्ध छठ गीत वीडियो आपके लिए प्रस्तुत किया था. इस भाग में प्रस्तुत है छठ के दो बेहद प्रसिद्ध गीत ‘मारबो रे सुगवा धनुष से…’ और ‘काचि ही बांस कै बहंगिया..’…
वीडियो देखने के लिए नीचे लिंक पर क्लिक करें:
Marabo Re Sugava Dhanus Se
Kaanche Hi Baans Ke Bahangiya
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