पहले जान, फिर जाने जान
फिर जाने जाना हो गए
रफ्ता रफ्ता, वो मेरी, हस्ती का सामान हो गए
पहले जगजीत सिंह और फिर मेहदी हसन के जाने से संगीत की दुनिया में गजल गायिकी को बहुत बड़ी क्षति हुई है. मेहदी हसन एक गायक, संगीतकार ही नहीं बल्कि गजल गायिकी का एक अध्याय थे. अपनी जिंदगी में उन्होंने गजल गायिकी को उस स्तर तक पहुंचाया जहां सभी ने इसे दिल से चाहा. गले के कैंसर से लड़ने के बाद भी मेहदी हसन ने गजल गायिकी से मुंह नहीं मोड़ा और अपनी जिंदगी को गजल के नाम कर दिया. उनके द्वारा गायी गई यह चंद लाइनें गजल के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती हैं: जिंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं, मैं तो मरकर भी मेरी जान तुम्हें चाहूंगा.
यूं तो गजल सम्राट की उपाधि भारत में जगजीत सिंह को हासिल है लेकिन पाकिस्तान के इस महान गायक को भी इस उपाधि से अलग नहीं किया जा सकता. इस महान गजल गायक की याद में हाजिर है उनके बेहतरीन नगमों में से एक पेशकश आप सभी के लिए रफ्ता रफ्ता, वो मेरी, हस्ती का सामान हो गए:
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