कल भारतीय क्रिकेट टीम की दीवार का जन्मदिन था. भारतीय क्रिकेट टीम में राहुल द्रविड़ को “दीवार” कहकर इसलिए बुलाते हैं क्यूंकि वह क्रीज पर दीवार की तरह खड़े हो जाते हैं और इस दीवार को गिरा पाना या इसे चोट पहुंचा पाना गेंदबाजों के लिए हमेशा टेढ़ी खीर साबित होती है. कई मौकों पर द्रविड़ ने अपने बेमिसाल डिफेंस की बदौलत भारत को जीत दिलाई है. आज क्रिकेट जगत में द्रविड़ से अच्छा डिफेंस प्लेयर किसी को नहीं माना जाता. इसके पीछे द्रविड़ की लगन और बेहतरीन खेल का हाथ है जिसकी बदौलत वह सचिन के बाद टेस्ट मैचों में सर्वाधिक रन बनाने वाले क्रिकेटर हैं.
लेकिन कई बार तकनीकी रूप से मजबूत इस बल्लेबाज को लोग यह कहकर चिढ़ाते हैं कि वह लंबे और आसमानी छक्के नहीं लगा सकते. लेकिन द्रविड़ ने कई मौकों पर साबित किया है कि वह भी लंबे शॉट लगाने की काबिलियत रखते हैं. द्रविड़ ने साल 2011 के इंग्लैण्ड दौरे में अपने कॅरियर का पहला और आखिरी टी-ट्वेंटी मैच खेला तो खेल विशेषज्ञों ने कहा कि इस मैच में राहुल द्रविड़ कुछ नहीं कर पाएंगे क्यूंकि वह इस फटाफट क्रिकेट के लायक ही नही हैं. लेकिन इस मैच में उन्होंने 3 लंबे छक्के लगाकर लोगों को साबित कर दिया कि वह ना सिर्फ तकनीकी रूप से मजबूत हैं बल्कि मानसिक तौर से भी किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है.
तो चलिए देखते हैं द्रविड़ की टी-ट्वेंटी में पहली और आखिरी पारी के कुछ क्षण:
RAHUL DRAVID HITS SIXES
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