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द्वादश ज्योतिर्लिंगों की महिमा अपरंपार


ज्योतिर्लिंगों की महत्ता से सभी परिचित हैं. भगवान शिव के उदार ह्र्दय की महिमा का बखान करते ये ज्योतिर्लिंग मनुष्य के सभी पापों का क्षय कर देने में सक्षम हैं. पापनाशी, सर्वकल्य़ाणी, प्रलयंकारी, सर्वशक्तिमान शिव के बारह स्थानों पर ज्योतिर्लिंग प्रतिष्ठित हैं.

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केदारेश्वर

हिमालय के केदार नामक स्थान पर विराजमान हैं.

महाकालेश्वर

मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित ज्योतिर्लिंग.

मल्लिकार्जुन

नारदजी के भ्रमित करने से नाराज अपने पुत्र कार्तिकेय को मनाने के लिए दक्षिण भारत में मल्लिकार्जुन के रूप में प्रगट हुए थे.

वैद्यनाथेश्वर

बिहार में वैद्यनाथ धाम में स्थित हैं.

नागेश्वर

द्वारका के समीप दारुकावन में स्थित हैं.

ओंकारेश्वर

मध्य प्रदेश के मांन्धाता पर्वत पर नर्मदा नदी के उद्गम स्थल पर पर्वतराज विंध्य की कठोर तपस्या से खुश हो वरदान देने हेतु यहां प्रगट हुए थे.

रामेश्वर

दक्षिण भारत के समुद्र तट पर पम्बन के निकट स्थित है. लंका विजय के समय भगवान राम ने इनकी स्थापना की थी.

सौराष्ट्र में सोमनाथ

काठियावाड के प्रभाष क्षेत्र में विराजमान हैं.

भीमशंकर

यह स्थान मुंबई से 60 मील दूर है.

विश्वेश्वर

विश्वेश्वर महादेव काशी में विराजमान हैं.

त्र्यम्बकेश्वर

महाराष्ट्र में नासिक रोड स्टेशन से 25 किमी की दूरी पर स्थित हैं.

घुश्मेश्वर

महाराष्ट्र के मनमाड से 100 किमी दूर दौलताबाद स्टेशन से 20 किमी की दूरी पर वेरुल गांव में स्थित हैं.

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